मेरी माँ - MY MOM
मेरी माँ मेरा बहुत ही ख्याल रखती है। उसके महत्व का वर्णन मैं शब्दों में नही कर सकता हूं। वह चाहे किसी भी स्थिति में हो लेकिन उस सदैव ही मेरे सुख-सुविधाओं के विषय में चिंता लगी रहती है। हर माँ की तरह मेरी माँ ने भी मेरे पालन-पोषण में कोई कसर नही छोड़ी, यही कारण है कि मैं उसका बहुत ही सम्मान करता हूं और उसे किसी प्रकार का कष्ट नही होने देता।
मेरी माँ एक गृहणी है और सभी घरेलू कार्यों में काफी दक्ष है। वह खाना बनाने से लेकर घर की साफ-सफाई जैसे सारे कार्य करती है। इसके साथ ही मैं यह भी कह सकता हूं कि मेरी मां मेरी पहली शिक्षक भी है क्योंकि मैने मेरे जीवन में जोभी शुरुआती चीजें सीखीं है, वह मुझे मेरी माता ने ही सिखायी हैं।
जब मैं सफल होता हूं तो मेरी माँ मेरी सराहना करती है और विफलताओं के अवसर पर वह मुझे सांत्वना भी देती है। इसके साथ ही मेरी माँ मुझे गलतियों पर फटकार भी लगाती है ताकि मैं गलत रास्तें पर ना चला जाऊं एक प्रकार से मेरी माँ हमेशा मेरी परवाह करती है और वह चाहती है कि मैं जीवन में सच्चाई तथा नेकी के मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त करुं।
माँ वह है जो हमें जन्म देती है, यहीं कारण है कि संसार में हर जीवनदायनी वस्तु को माँ की संज्ञा दी गयी है। यदि हमारे जीवन के शुरुआती समय में कोई हमारे सुख-दुख में हमारा साथी होता है तो वह हमारी माँ ही होती है। माँ हमें कभी इस बात का एहसास नही होने देती की संकट के घड़ी में हम अकेले हैं। इसी कारणवश हमारे जीवन में माँ के महत्व को नकारा नही जा सकता है।
माँ एक ऐसा शब्द है, जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम ही है। हम माँ के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते हैं। माँ के महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंसान भगवान का नाम लेना भले ही भूल जाये लेकिन माँ का नाम लेना नही भूलता है। माँ को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना गया है। एक माँ दुनियां भर के कष्ट सहकर भी अपने संतान को अच्छी से अच्छी सुख-सुविधाएं देना चाहती है।
एक माँ अपने बच्चों से बहुत ही ज्यादे प्रेम करती है, वह भले ही खुद भुखी सो जाये लेकिन अपने बच्चों को खाना खिलाना नही भूलती है। हर व्यक्ति के जीवन में उसकी माँ एक शिक्षक से लेकर पालनकर्ता जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है। इसलिए हमें अपनी माँ का सदैव सम्मान करना चाहिए क्योंकि ईश्वर हमसे भले ही नाराज हो जाये लेकिन एक माँ अपने बच्चों से कभी नाराज नही हो सकती है। यही कारण है कि हमारे जीवन में माँ के इस रिश्ते को अन्य सभी रिश्तों से इतना ज्यादे महत्वपूर्ण माना गया है।
एक स्त्री अपने जीवन में पत्नी, बेटी, बहू जैसे ना जाने कितने रिश्ते निभाती है, लेकिन इन सभी रिश्तों में से जिस रिश्ते को सबसे ज्यादे सम्मान प्राप्त है वह माँ का रिश्ता है। मातृत्व वह बंधन है जिसकी व्याख्या शब्दों में नही की जा सकती है। माँ अपने बच्चे को जन्म देने के साथ ही उसके लालन-पालन का भी कार्य करती है। कुछ भी हो जाये लेकिन एक माँ का उसके बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नही होता है, वह खुद से भी ज्यादे अपने बच्चों के सुख-सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है।
एक माँ अपनी संतान के रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी विपत्तियों का सामना करने का साहस रखती है। एक माँ स्वयं चाहे जितने भी कष्ट सह ले लेकिन अपने बच्चों पर किसी तरह की आंच नही आने देती है। इन्हीं कारणों से तो माँ को पृथ्वी पर ईश्वर का रुप माना गया है और इसलिए यह कहावत भी काफी प्रचलित है कि “ईश्वर हर जगह मौजूद नही रह सकता है इसलिए उसने माँ को बनाया है।”
मेरी माँ मेरे जीवन में कई सारी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है, वह मेरी शिक्षक तथा मार्गदर्शक होने के साथ ही मेरी सबसे अच्छी मित्र भी है। जब मैं किसी समस्या में होता हूं, तो वह मुझमें विश्वास पैदा करने का कार्य करती है। आज मैं अपने जीवन में जो कुछ भी हूं वह सिर्फ अपने माँ के ही बदौलत हूं क्योंकि मेरी सफलता तथा असफलता दोनो ही वक्त वह मेरे साथ थी। उनके बिना तो मैं अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकता, यहीं कारण है कि मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा मित्र मानता हूं।
हमारे आदर्श जीवन के निर्माण में हमें हमारे माँ द्वारा दी गयी शिक्षाएं काफी महत्व रखती हैं क्योंकि बचपन से ही एक माँ अपने बच्चे को नेकी, सदाचार तथा हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने जैसी महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है। जब भी हम अपने जीवन में अपना रास्ता भटक जाते हैं तो हमारी माँ हमें सदैव सदमार्ग पर लाने का प्रयास करती है।
कोई भी माँ कभी यह नही चाहती है कि उसका बेटा गलत कार्यों में लिप्त रहे। हमारे प्रारंभिक जीवन में हमें अपनी माँ द्वारा कई ऐसी आवश्यक शिक्षाएं दी जाती हैं, जो आजीवन हमारे काम आती है। इसलिए एक आदर्श जीवन के निर्माण में माँ का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है।
इस बात को मैं काफी गर्व और विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस दुनिया में मेरी माँ ही मेरी सबसे अच्छी शिक्षक है क्योंकि मुझे जन्म देने के साथ ही उसने मुझे मेरे शुरुआती जीवन में वह हर एक चीज सिखायी है, जिसके लिए मैं पूरे जीवन उसका आभारी रहूंगा। जब मैं छोटा था तो मेरी माँ ने मेरी उंगली पकड़कर चलना सिखाया। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो मेरी माँ ने मुझे कपड़े पहनना, ब्रश करना, जूते का फीता बांधना सिखाने की साथ ही घर पर मुझे प्रारंभिक शिक्षा भी दी।
जब भी मैं किसी कार्य में असफल हुआ तो मेरी माँ ने मुझमें और भी विश्वास जगाया। जब भी मैं किसी समस्या में था तो मेरी माँ ने हरसंभव प्रयास किया कि मैं उस बाधा को पार कर लूं। भले ही मेरी कोई बहुत पढ़ी-लिखी महिला ना हो लेकिन उसके जिदंगी के तुजर्बे से प्राप्त ज्ञान की बातें किसी इंजीनियर या प्रोफेसर के तर्कों से कम नही है। आज भी वह मुझे कुछ ना कुछ जरुर सिखा पाती है क्योंकि मैं कितना ही बड़ा क्यों ना हो जाऊ लेकिन जिंदगी के अनुभव में हमेशा उससे छोटा ही रहूंगा। वास्तव में मेरी माँ मेरी सबसे अच्छी शिक्षक है और उसके द्वारा दी जाने वाली हर एक शिक्षा अनमोल है।
उन्होंने मुझे बस प्रारंभिक शिक्षा ही नही दी बल्कि की जीवन जीने का तरीका भी सीखाया है, मुझे इस बात की शिक्षा दी है कि समाज में किस तरह से व्यवहार करना चाहिए। वह मेरे दुख में मेरे साथ रही हैं, मेरे तकलीफों में मे मेरी शक्ति बनी है और वह मेरे हर सफलता का आधारस्तंभ भी है। यहीं कारण है कि मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा मित्र मानता हूं।
मेरी माँ एक गृहणी है और सभी घरेलू कार्यों में काफी दक्ष है। वह खाना बनाने से लेकर घर की साफ-सफाई जैसे सारे कार्य करती है। इसके साथ ही मैं यह भी कह सकता हूं कि मेरी मां मेरी पहली शिक्षक भी है क्योंकि मैने मेरे जीवन में जोभी शुरुआती चीजें सीखीं है, वह मुझे मेरी माता ने ही सिखायी हैं।
जब मैं सफल होता हूं तो मेरी माँ मेरी सराहना करती है और विफलताओं के अवसर पर वह मुझे सांत्वना भी देती है। इसके साथ ही मेरी माँ मुझे गलतियों पर फटकार भी लगाती है ताकि मैं गलत रास्तें पर ना चला जाऊं एक प्रकार से मेरी माँ हमेशा मेरी परवाह करती है और वह चाहती है कि मैं जीवन में सच्चाई तथा नेकी के मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त करुं।
माँ वह है जो हमें जन्म देती है, यहीं कारण है कि संसार में हर जीवनदायनी वस्तु को माँ की संज्ञा दी गयी है। यदि हमारे जीवन के शुरुआती समय में कोई हमारे सुख-दुख में हमारा साथी होता है तो वह हमारी माँ ही होती है। माँ हमें कभी इस बात का एहसास नही होने देती की संकट के घड़ी में हम अकेले हैं। इसी कारणवश हमारे जीवन में माँ के महत्व को नकारा नही जा सकता है।
मेरे जीवन में मेरी माँ का महत्व
माँ एक ऐसा शब्द है, जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम ही है। हम माँ के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते हैं। माँ के महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंसान भगवान का नाम लेना भले ही भूल जाये लेकिन माँ का नाम लेना नही भूलता है। माँ को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना गया है। एक माँ दुनियां भर के कष्ट सहकर भी अपने संतान को अच्छी से अच्छी सुख-सुविधाएं देना चाहती है।
एक माँ अपने बच्चों से बहुत ही ज्यादे प्रेम करती है, वह भले ही खुद भुखी सो जाये लेकिन अपने बच्चों को खाना खिलाना नही भूलती है। हर व्यक्ति के जीवन में उसकी माँ एक शिक्षक से लेकर पालनकर्ता जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है। इसलिए हमें अपनी माँ का सदैव सम्मान करना चाहिए क्योंकि ईश्वर हमसे भले ही नाराज हो जाये लेकिन एक माँ अपने बच्चों से कभी नाराज नही हो सकती है। यही कारण है कि हमारे जीवन में माँ के इस रिश्ते को अन्य सभी रिश्तों से इतना ज्यादे महत्वपूर्ण माना गया है।
मातृत्व का बंधन
एक स्त्री अपने जीवन में पत्नी, बेटी, बहू जैसे ना जाने कितने रिश्ते निभाती है, लेकिन इन सभी रिश्तों में से जिस रिश्ते को सबसे ज्यादे सम्मान प्राप्त है वह माँ का रिश्ता है। मातृत्व वह बंधन है जिसकी व्याख्या शब्दों में नही की जा सकती है। माँ अपने बच्चे को जन्म देने के साथ ही उसके लालन-पालन का भी कार्य करती है। कुछ भी हो जाये लेकिन एक माँ का उसके बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नही होता है, वह खुद से भी ज्यादे अपने बच्चों के सुख-सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है।
एक माँ अपनी संतान के रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी विपत्तियों का सामना करने का साहस रखती है। एक माँ स्वयं चाहे जितने भी कष्ट सह ले लेकिन अपने बच्चों पर किसी तरह की आंच नही आने देती है। इन्हीं कारणों से तो माँ को पृथ्वी पर ईश्वर का रुप माना गया है और इसलिए यह कहावत भी काफी प्रचलित है कि “ईश्वर हर जगह मौजूद नही रह सकता है इसलिए उसने माँ को बनाया है।”
मेरी मां मेरी सबसे अच्छी मित्र
मेरी माँ मेरे जीवन में कई सारी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है, वह मेरी शिक्षक तथा मार्गदर्शक होने के साथ ही मेरी सबसे अच्छी मित्र भी है। जब मैं किसी समस्या में होता हूं, तो वह मुझमें विश्वास पैदा करने का कार्य करती है। आज मैं अपने जीवन में जो कुछ भी हूं वह सिर्फ अपने माँ के ही बदौलत हूं क्योंकि मेरी सफलता तथा असफलता दोनो ही वक्त वह मेरे साथ थी। उनके बिना तो मैं अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकता, यहीं कारण है कि मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा मित्र मानता हूं।
एक आदर्श जीवन के लिए माँ की शिक्षाएं
हमारे आदर्श जीवन के निर्माण में हमें हमारे माँ द्वारा दी गयी शिक्षाएं काफी महत्व रखती हैं क्योंकि बचपन से ही एक माँ अपने बच्चे को नेकी, सदाचार तथा हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने जैसी महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है। जब भी हम अपने जीवन में अपना रास्ता भटक जाते हैं तो हमारी माँ हमें सदैव सदमार्ग पर लाने का प्रयास करती है।
कोई भी माँ कभी यह नही चाहती है कि उसका बेटा गलत कार्यों में लिप्त रहे। हमारे प्रारंभिक जीवन में हमें अपनी माँ द्वारा कई ऐसी आवश्यक शिक्षाएं दी जाती हैं, जो आजीवन हमारे काम आती है। इसलिए एक आदर्श जीवन के निर्माण में माँ का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है।
मेरी माँ मेरी सबसे अच्छी शिक्षक
इस बात को मैं काफी गर्व और विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस दुनिया में मेरी माँ ही मेरी सबसे अच्छी शिक्षक है क्योंकि मुझे जन्म देने के साथ ही उसने मुझे मेरे शुरुआती जीवन में वह हर एक चीज सिखायी है, जिसके लिए मैं पूरे जीवन उसका आभारी रहूंगा। जब मैं छोटा था तो मेरी माँ ने मेरी उंगली पकड़कर चलना सिखाया। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो मेरी माँ ने मुझे कपड़े पहनना, ब्रश करना, जूते का फीता बांधना सिखाने की साथ ही घर पर मुझे प्रारंभिक शिक्षा भी दी।
जब भी मैं किसी कार्य में असफल हुआ तो मेरी माँ ने मुझमें और भी विश्वास जगाया। जब भी मैं किसी समस्या में था तो मेरी माँ ने हरसंभव प्रयास किया कि मैं उस बाधा को पार कर लूं। भले ही मेरी कोई बहुत पढ़ी-लिखी महिला ना हो लेकिन उसके जिदंगी के तुजर्बे से प्राप्त ज्ञान की बातें किसी इंजीनियर या प्रोफेसर के तर्कों से कम नही है। आज भी वह मुझे कुछ ना कुछ जरुर सिखा पाती है क्योंकि मैं कितना ही बड़ा क्यों ना हो जाऊ लेकिन जिंदगी के अनुभव में हमेशा उससे छोटा ही रहूंगा। वास्तव में मेरी माँ मेरी सबसे अच्छी शिक्षक है और उसके द्वारा दी जाने वाली हर एक शिक्षा अनमोल है।
उन्होंने मुझे बस प्रारंभिक शिक्षा ही नही दी बल्कि की जीवन जीने का तरीका भी सीखाया है, मुझे इस बात की शिक्षा दी है कि समाज में किस तरह से व्यवहार करना चाहिए। वह मेरे दुख में मेरे साथ रही हैं, मेरे तकलीफों में मे मेरी शक्ति बनी है और वह मेरे हर सफलता का आधारस्तंभ भी है। यहीं कारण है कि मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा मित्र मानता हूं।