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आलिया ने निभाया राज़ी फिल्म में सहमत खान का किरदार

राज़ी मूवी की कहानी (कौन हैं सहमत खान) | कहा जा रहा है कि इस फिल्म में आलिया ने बहुत ही जबरजस्त एक्टिंग की है.

राज़ी फिल्म से जुड़ी अन्य जानकारी :


फिल्म का नाम (Film Name) राज़ी
 निर्देशक (Director) मेघना गुलजार
निर्माता विनीत जैन, कारण जौहर, हीरो यश जौहर, अपूर्वा मेहता
स्टार कास्ट (Star cast) आलिया भट्ट, विक्की कौशल
रिलीज़ डेट Release Date 11 मई 2018
नीचे इस फिल्म, इसके मुख्य किरदार सहमत और इससे जुड़ी अन्य जानकारी से हम आपको रूबरू करवा रहें है.
हरिंदर सिक्का का नावेल (Harinder Sikka’s Novel) :
इस नावेल के अनुसार

सहमत एक कश्मीरी हिंदुस्तानी महिला है, जिनके पिता एक रईस कश्मीरी व्यापारी हैं. परंतु देश के लिए वो पाकिस्तान जाकर अपनी गृहस्थी बसाती हैं  और वहाँ की जानकारी भारत में पहुंचाती हैं.

इनके पिता 1971 के भारत-पाक युध्द के समय अपनी बेटी का विवाह एक पाकिस्तानी युवक जो कि मौजूदा सेना के एक बड़े अधिकारी के बेटे हैं, से करवा दी जाती हैं. और यह पाकिस्तानी युवक भी सैन्यदल का एक बड़ा अधिकारी हैं. वहाँ से सहमत पाकिस्तानी सेना के बारे में संपूर्ण जानकारी एकत्रित कर भारत तक पहुंचाती है. इसके लिए उन्हें पूर्व में एक भारतीय अधिकारी द्वारा पूर्ण ट्रेनिंग भी दी जाती हैं .और इस तरह वे पाकिस्तान पहुँचकर सभी जानकारियाँ देश भेजती हैं.परंतु एक आम लड़की से एक जासूस की भूमिका में सहगल का सफ़र काफी कष्ट दायक होता है. परंतु उनके इन प्रयासों से 1971 के युध्द के समय बहुत से भारतीय सैनिको की जान बचाई जा सकी थी. उनके द्वारा दी गई सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यह थी कि पाकिस्तान ने भारतीय युध्द पोर आईएनएस (INS) विराट को डुबाने के लिए प्लान बनाया था. भारत सरकार इसे उनकी दी जानकारी की वजह से बचा पाई. हालांकि सहमत जिस पाकिस्तानी अफसर से शादी करती है, उनसे उन्हें बाद में प्यार भी हो जाता है, और जब वे भारत लौटती है तो उनके साथ उनका एक बेटा भी होता है. जो बाद में भारतीय आर्मी में कार्य करता है.

सहमत खान कौन थी और कैसे हरिन्दर सिक्का को मिली? क्यूँ लिखा गया उन पर नॉवेल?

हरिंदर सिक्का के नावेल और फिल्म राज़ी की प्रमुख किरदार सहमत एक असल महिला की कहानी है, जिन्हें असलियत में कोई नहीं जानता. परंतु आज हम आपको इनकी असल जिन्दगी से जुड़ी कुछ बातें बता रहें है, जिन्हें आप जरुर जानना चाहेंगे.
यह बात है 1971 के भारत-पाक इंडो संघर्ष की जो कि आगे चलकर युध्द में तब्दील हुआ था. भारतीय नेवी के ही एक रिटायर्ड ऑफिसर हरजीत सिक्का कारगिल युध्द के समय भारतीय आर्मी पर कुछ रिसर्च कर रहें थे. इसी रिसर्च में उनकी मुलाकात एक ऐसे सेना के अधिकारी से हुई, जिन्होंने उन्हें सहमत खान की कहानी बताई. हालांकि उस अफसर ने सहमत खान का असली नाम उन्हें नहीं बताया, नाही उसके बारे में ज्यादा जानकारी बताई थी. लेकिन इतना जरुर बताया था कि एक कश्मीरी लड़की पाकिस्तान में जाकर वहाँ के सेना अधिकारी से शादी करती है. और वहीं उसी घर में रहकर अपने पति के सामने भारत को ख़ुफ़िया जानकारी प्रदान करती है. अपनी जान खतरे में डालकर भारत के न जाने कितने सैनिको की जान बचाती है.

अब इस महिला के बारे में इतनी बातें जानकर हरिंदर सिक्का के मन में भी यह जिज्ञासा उठती है कि आखिर यह जासूस है कौन, जिन्होंने इतने साल पाकिस्तान में जासूसी की और अब भारत में एक गुमनाम जिंदगी बिता रही है. हरिंदर सिक्का ने जैसे तैसे उनके बारे में जानकारी एकत्रित कर पंजाब के गाँव मलेरकोटला में जाकर उनसे मुलाकात की. सिक्का ने इस औरत की व्याख्या एक शांत और कम बोलने वाली महिला के रूप में की हैं. हरिंदर द्वारा बहुत मिन्नते करने के बाद उस महिला ने अपनी कहानी उन्हें बताई, परंतु उन्होंने यह शर्त भी रखी कि यह कहानी वे किसी और को नहीं बताएँगे. परंतु उनकी कहानी सुनने के बार हरिंदर ने यह निर्णय किया कि यह एक ऐसी कहानी है जिसे दुनियाँ को जानना जरुरी है, परंतु इसी के साथ हरिंदर को उस महिला की पहचान को छुपाना भी जरुरी था. तभी उन्होंने उस महिला को यह काल्पनिक नाम सहमत खान दिया, मतलब उस महिला जासूस का असली नाम सहमत खान नहीं है, उनका असली नाम आज भी कोई नहीं जानता. इस महिला की कहानी को हरिंदर सिक्का अपनी किताब के जरिये सबके सामने लाये, परंतु उस महिला को किये वादे के अनुसार उन्होंने अपनी यह नावेल उसकी मृत्यु के बाद ही प्रकाशित की. परंतु उस महिला की पहचान को छुपाने के लिए उन्होंने इसकी कहानी को थोड़ा काल्पनिक ही रखा. कहा जाता है कि सहमत खान का एक बेटा भी है जो अब भारतीय सेना में कार्यरत है परंतु इनकी भी कोई पहचान उपलब्ध नहीं है .

कश्मीर के एक व्यापारी ने इस काम के लिए अपनी बेटी को क्यों चुना, इसका कारण अब तक स्पष्ट नहीं है, परंतु यह अंदाजा जरुर लगाया जा सकता है कि इसके पीछे देशभक्ति ही छुपी होगी.

मूलतः यह पिक्चर एक सत्य घटना और चरित्र पर आधारित है, जिसकी स्टोरी हरिंदर सिक्का के नावेल “कालिंग सहमत” से ली गई है. असलियत में भारत के इतिहास में ऐसे कई नाम शामिल है जिन्होंने भारत को अपनी पहचान दिलवाने में अपना जीवन समर्पित किया, परंतु ये नाम इतिहास में कहीं गुम होकर रह गये. राज़ी फिल्म का मुख्य किरदार सहमत भी इन्ही में से एक है, जिसे हरिंदर सिक्का ने अपनी नावेल में स्थान दिया और अब मेघना इसे अपनी फिल्म के जरिये दर्शको तक पहुंचायेँगी.